भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तितली उंगलियों वाले बच्चे-एक / अवतार एनगिल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तीन सियाले पहले
उस औरत ने
बित्ता भर छत
और मुट्ठी भर भात के लिए
तितली के दस पँख
गिरवी रखे थे
ये पँख
उसके सात वर्षीय बेटे के
नन्हें हाथों की उंगलियाँ थीं

दस उंगलियाँ
जाने कब से
पचास साल पुरानी खड्डी पर
नायाब कालीन बुन रही है

हर रात एक शरारती बच्चा
कुल्लू उस्ताद की कानी आँख से
बचकर
उड़ निकलता है
पहुँचता
अपने गाँव
भागता
डगर-डगर
मेढ़-मेढ़
ठगा-सा
हैरान-सा
मुँह बाए
देखता
गुम्बदनुमा सतरंगा धनक
धनक तले एक महल
महल का लोह-द्वार
लोहद्वार में चिने
तितलियों के पँख़-पँख
अनेक पँख