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तिरंगा / हम्मर लेहू तोहर देह / भावना

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तिरंगा कभ हए?
हम पूछली एगो लरिका से
कहलक-
धत्त तेरा के
अपने इहो न जनइत हती
ई हए पुरिया
जेकरा खाइते
हो जाइअऽ मन रंगीन
झूमे लगइअऽ तन-मन
मस्त हाथी सन।

फेनू हम दोसरा से पूछली-
तिरंगा कथी हए?
त ऊ गावे लागल-
‘‘जा गोरिया झार के
खइहऽ तिरंगा फार के
बाकी अइहऽ एतबार के’’
मन हम्मर खंऊझ गेल
तइयो हम तेसरा से पूछली-
तिरंगा कभी हए?
त ऊ कहलक-
तिरंगा हए एगो सिनेमा
जेमे आइ-काल
बड़ा भीड़ चलईत हए
अपनेहु देख आऊ
बुझा जाएत-
कि तिरंगा कथी हए?