तीन / बिसुआ: फगुआ / सान्त्वना साह
चैत हे सखी धनसर फुनसर कोदो, मालतो मदमालतो बूढ़ी माय हे
औरी झौरी करै, सातो बहिनिया, सेवका निरबुधिया भरमाय हे।
बैसाख हे सखी मास असनान करी, अक्षय तृतीया के दान हे
भृगुकुल वंशी, जमदाग्नि ऋषि कन, जन्म लगन परशुराम हे।
जेठ हे सखी गरम हवा के झोंका, ऊसर टीकर भीत पात हे
फुटलो तरासो मेॅ, खरबूज तरबूज खीरा, ककड़ी पन्ना चटनी चाट हे।
अषाढ़ हे सखी गुरू पुरनिमा, गुरू के मान सम्मान हे
शिक्षा आ दीक्षा गुरू, सब केरो पूजा, करै छै सगरो जहान हे।
सावन हे सखी राखी के मान राखी, द्रौपददी के सुनी हाहाकार हे
दौड़लै कन्हैया, लाज बचैया, रेशम के महिमा अपार हे।
भादो हे सखी द्वादशी शुक्ला, वामन स्वरूप अवतार हे
कश्यप अदिति घर, श्रीहरि रूप के, आनन्द अपरम्पार हे।
आसिन हे सखी शरद रतिया, बसिया बजाय कॅरी झाय हे
नाचै शिव ता-ता थइया, बाजै पाँजन पायलिया, रास रसैया हरसाय हे।
कातिक हे सखी कातिक महात्तम, तुलसी क कथा सुनलो जाय हे
सात्विक भोजन करी, नियम संयम सेॅ, मास असनान केॅ निभाय हे।
अगहन हे सखी रामा विवाह दिना, सातो काण्ड होय गेलै पूर्ण हे
सत्यम् शिवम सुन्दरम् शिव नेॅ लिखलकै, तुलसी के मानस ग्रन्थ हे।
पूस हे सखी सपना मेॅ गेन देखी, भुट-भुट कानै छै अमरेन्द्र हे
सिखा जे कहै विमल, साँवरी वियोगो के, मंजर के झरै नैना लोर हे।
माघ हे सखी बसन्ती दिनमा, नैयकी के मन मन्झान हे
कोयलो के कूक सुनी, छिरियावै मनमा, पपीहा बैरिनिया के तान हे।
फागुन हे सखी मौसम बसन्ती, कुमकुम अबीर सेॅ परहेज हे
कुहकै कोयलिया, गमकै मंजरिया, पिया बिनु खाली सेज हे।