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तीन और शेर / शमशेर बहादुर सिंह
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लिखा है मुक़द्दर में, दर-दर की दुआ मांगो
सय्यार-ओ-मह-ओ-महर-ओ अख़्तर की दुआ मांगो
इन्सान के पर्दे में रूठा है ख़ुदा हमसे
इस घर की दुआ मांगो, उस घर की दुआ मांगो
फिर सुर्ख़ निशाँ बनकर, कांधे पे उठे तनकर
जो सर है हथेली पर, उस सर की दुआ मांगो
(1942)