तीन स्त्रियाँ / रसूल हम्ज़ातव / श्रीविलास सिंह
जब मैं चला मैंने चुम्बन लिया तीन स्त्रियों का ।
एक छतनार वृक्ष के नीचे
खड़ी एक ने कहा :
“यदि तुम भूल गए,
मैं नहीं बहाऊँगी एक भी आँसू तुम्हारे लिए !”
दूसरी ने कमर पर घड़ा रखे
दरवाजे पर खड़े हुए कहा मुझसे :
“जल्दी वापस आना, अलविदा !”
तीसरी ने, बस, खड़े खड़े एक आह भरी ।
पहली को जल्दी ही भूल गया
चकदार आसमान के नीचे ।
दूसरी को मैंने याद रखा
बस, अगली सुबह होने तक ।
मैं गुज़रता रहा, चलता रहा बहुत सारे रास्तों पर
और सुस्ती के समय उत्प्रेरित करता घोड़े को
क्योंकि सदैव ही मेरा पीछा करती रहीं
स्मृतियाँ तीसरी की ।
पहली, झगड़ालू, थी छत पर
मुझे सरपट जाते देखने को ।
दूसरी, सुशील और मुस्कराती हुई, ने दिया
मुझे जल झरने से ।
तीसरी नहीं थी, कहीं न थी दिखाई पड़ती,
उसकी अनुपस्थिति वहाँ हुई मुझे महसूस,
और वही थी वह स्त्री जिसके बारे में
देखता हूँ मैं स्वप्न ―
तीसरी ― जिसका मैंने चुम्बन लिया ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : श्रीविलास सिंह
लीजिए, अब पीटर टेम्पेस्ट के अनुवाद में यही कविता अँग्रेज़ी में पढ़िए
Rasul Gamzatov
THREE WOMEN
I kissed three women when I left.
Beneath a spreading yew
One stood and said:
«If you forget,
I’ll shed no tear for you!»
The second in the doorway held
A pitcher at her side
And bid me:
«Hurry back! Farewell!»
The third just stood and sighed.
The first I speedily forgot
Beneath the glowing skies.
The second I remembered not
Beyond the second rise.
I rode and strode by many a road
And sluggish Time I spurred,
For always I was haunted by
Remembrance of the third.
The first, the shrew, was on the roof
To watch me gallop in.
The second, suave and smiling, gave
Me water from the spring.
The third was nowhere to be seen,
Her presence there I missed.
And that’s the woman whom I dream
About—the third I kissed.
अब यही कविता रूसी अनुवाद में पढ़िए