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तीर्थों का संसार / राजकिशोर सिंह

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अहले सुबह
बच्चा नींद से उठकर
अपने बिस्तर पर
मन से पढ़ता है
उसका पिता
देऽकर मन में
स्वप्न गढ़ता है
यही कल बड़ा बनेगा
बुढ़ापे का
सहारा बनेगा
इसे सोच कर
उसका हृदय
गर्व से पफैलता है
ऽुशी से वह
मन ही मन झूमता है
और कहता है
मुस्लिम क्यों
घूमता मक्का मदीना
हिन्दू क्यों
काशी हरिद्वार
बिस्तर पर बच्चे
पढ़ रहे हैं
यही है तीर्थों का संसार।