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तुम / गुलज़ार हुसैन
Kavita Kosh से
तुम्हारी एक पासपोर्ट साइज फोटो है मेरे पास
जिसमें तुम्हारी आंखें मंडराते बादलों को देख रही हैं
तुम्हारे कुछ खत हैं, जिनमें से किसी एक में
एक साथ ताजमहल देखने जाने का वादा है
तुम्हारा दिया हुआ एक गुलाब है
जो अमृता प्रीतम की 'रसीदी टिकट' के बीच पड़ा सूख गया है
और इन सबसे बढ़कर तुम्हारी वो हंसी है
जो इस बाग में
गुलमोहर के हिलते फूलों संग
यहां से वहां तक फैल रही है
अब मैं यह कैसे कह सकता हूं
कि तुम यहां नहीं हो