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तुम / वोल्फ़ वोन्द्राचेक / उज्ज्वल भट्टाचार्य
Kavita Kosh से
तुम वो हो, जिसे कोई दूसरा ही महसूस करता हो
तुम वो सम्राट हो, जो मुकुट चुराता हो
तुम वो रात हो, जो आग सी धधकती हो
तुम वो दूसरा हो, जो तुम्हें पहचानता न हो
तुम हवा हो, जो तुम्हारी सुराग मिटा देती
तुम नायक हो, मरकर गिर जाने से पहले
तुम पेड़ हो, सड़क हो और पत्थर हो
तुम हर ’नहीं’ के बाद ’हाँ’ हो
तुम वो रास्ता हो, जिस पर तुम आगे बढ़ती हो
तुम वो जवाब हो, जिसे तुम नहीं समझती
तुम वो नदी हो, जो तटों पर उफनती हो
तुम वो हो, जिसे कोई दूसरा ही महसूस करता हो
मूल जर्मन से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य