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तुम कब आओगे / नीरजा हेमेन्द्र
Kavita Kosh से
पुरवा के झोंकों से
स्मृतियों के झरोखों से
पूछूँगी इस बार
तुम कब आओगे?
काले उड़ते बादलों से
विगत् सुखद पलों से
पूछँगी इस बार
तुम कब आओगे?
छायें हैं श्याम मेघ
हृदय में उठे आवेग
मेघों के पन्नों पर
लिखा है नेह बन्ध
तुम तक वो जायेंगे
विरह राग गायेंगे
सावन की इस ऋतु से
बारिश की बूँदों से
पूछँूगी इस बार
तुम कब आओगे?