भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तुम पर जो विश्वास किया है / कमलेश द्विवेदी
Kavita Kosh से
तुम पर जो विश्वास किया है तुम चाहो तो बना रहेगा।
और हमारी आशाओं का पेड़ हमेशा घना रहेगा।
तुमको देख लगा है ऐसा
जैसे मन का फूल खिला है।
बरसों से जिसकी तलाश थी
हमको वह मनमीत मिला है।
तुम भी ऐसा ही सोचो तो फिर क्या कुछ सोचना रहेगा।
तुम पर जो विश्वास किया है तुम चाहो तो बना रहेगा।
इतना साथ किसी का हमको
अब तक रास नहीं आया है।
जितना तुम भाये हो हमको
कोई और नहीं भाया है।
अब जो मन को ठेस लगी तो मन कितना अनमना रहेगा।
तुम पर जो विश्वास किया है तुम चाहो तो बना रहेगा।
कुछ भी सच है नहीं यहाँ पर
जो दिखता है, वह सपना है।
कोई ऐसा नहीं कि जिसको
कहा जा सके-यह अपना है।
कब तक कोई इस दुनिया में लेकर यह भावना रहेगा।
तुम पर जो विश्वास किया है तुम चाहो तो बना रहेगा।