तुम भूलना मुझे / वैशाली थापा
भूलना,
तो इस तरह नहीं
जैसे हिज्र के गीतों को भूला जाता है
वस्ल की रातों में
यह भूल कर कि उन गीतों ने
इन रातों तक तुम्हें ज़िन्दा रखा।
वों बिसराए हुए गीत
तुम्हें बेवफ़ा भी नहीं कह सकते
आखिर, यह तुम्हारे वस्ल की रातें है।
भूलना ही हो, तो भूलना
पुराने कोट की जेब में रखे नोट की तरह
जैसे कोई पसंदीदा कुर्ता तुम किसी गठरी में रख भूल जाते हो
जैसे भूल गए थे बचपन में मिट्टी के नीचे कोई बीज दबा कर
कि ये नोट, कुर्ता या एक घना पेड़
अचानक सामने तुम्हारे आ जाए कभी
तो अतीत की विस्मृती तुम्हारे वर्तमान का सुख बन जाए।
भूलना ऐसे कि तुम्हारा इरादा कभी भूलने का हो ही ना
चूल्हे पर रखे उफनते दूध की तरह भूल जाना मुझे
और औचक जब याद आए तो दौड़ पड़ना मेरी तरफ
ऐसे, जैसे तुम्हारी देरी से सब कुछ खत्म हो जाने वाला हो
तब तुम पहुँचना मुझ तक और
मेरा बचा-खूचा अक्स बचा लेना।