तुम मेरे पास रहना / अमरजीत कौंके
हजारों आएंगी आँधियाँ
लाखों आएंगे तूफ़ान
लेकिन तुम मेरे पास रहना
अनेक बार मैं होऊंगा
उदासी की खूबसूरत लड़की का हाथ पकड़े
खुदकुशी की राह पर चलता
इस विषकन्या के होठों को
चूमने की कोशिश करता
मेरे भीतर सुलगती होगी मौत
तुम मुझे
ज़िंदगी के बारे में बताना
बहुत बार मैं होऊंगा
परिस्थितियों के चक्रव्यूह में घिरा
मेरा अर्जुन बाप लड़ रहा होगा दूर
शकुनि की चालों में उलझा
मेरे इर्द-गिर्द होगी
साजिशी तीरों की बरसात
उस वक्त तुम मेरे हाथ में
रथ का टूटा पहिया बन जाना
बहुत बार मैं होऊंगा
तीरों की सेज पर लेटा
देख रहा होऊंगा
अपने ही हिस्सों को
अपने पर बाण चलाते
तब तुम मेरे माथे पर
अपना नर्म हाथ रखना
कितनी बार मैं होऊंगा
बेगानगी की बारिश में भीगता
अपनी अग्नि में सुलगता
भीगी हुई किसी रात को
सीली पवन अपने बदन पर लपेटे
अकेला भटक रहा होऊंगा
तुम मेरा हाथ पकड़ कर
मुझे मेरे घर का रास्ता दिखाना
अनेक बार मैं होऊंगा
ठहरी रात को
अतीत के दरवाजे पर दस्तक देता
दूर रह गए घर को याद करता
दीवारों के मिटते रंग देखता
अपने सिर अनगिनत इल्ज़ाम लिए
अकेला सिसक रहा होऊंगा
तब तुम मेरी
भीगी आँखों के लिए कंधा बन जाना
हजारों आएंगी आँधियाँ
लाखों आएंगे तूफान
लेकिन तुम मेरे पास रहना।