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तुम लड़ो / चित्रा पंवार
Kavita Kosh से
तुम लड़ो
गिरोगी ही
धूल झाड़कर
फिर उठ खड़ी होना
तुम लड़ो
अधिक से अधिक क्या होगा
हार जाओगी
कम से कम मन में ना लड़ने का मलाल तो नहीं रहेगा
तुम लड़ो
मारी ही जाओगी ना!
उससे पहले साबित करके मरो
कि तुम लड़ी थीं
इसका मतलब कभी जिंदा भी थीं
तुम लड़ो
अगर तुम्हारे साथ गलत हुआ है
बदल दो लोगों की यह मानसिकता
कि गलत करने वाले मर्द से बड़ी गुनहगार
होती है सहने वाली स्त्री
तुम लड़ो
ताकि आने वाली बेटियों के मुंह पर
परंपरा के नाम का ताला ना पड़ने पाएं
तुम लड़ो
क्योंकि स्त्री होने का अर्थ ही है
योद्धा होना
जो लड़ती आई है
गर्भ से शमशान तक