भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तुम सब शून्य कर दोगे / अनामिका अनु
Kavita Kosh से
जब भी मेरे प्रेम पर चर्चा हो
तुम मेरे नाम के बग़ल में अपना नाम लिख देना
मेरे पापों की गणना हो
मेरे नाम के आगे अपना नाम लिख देना
तुम तो शून्य हो न
बग़ल में रहे तो दहाई कर दोगे
आगे लग गए तो इकाई कर दोगे
गुणा भी कर दिया किसी ने तो क्या मसला है
तुम सब शून्य कर दोगे