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तुम्हारा एहसास / मंजुश्री गुप्ता
Kavita Kosh से
मंदिर में गूंजती
घंटियों-सा,
पवित्र श्लोकों के उच्चारण-सा
पहली बारिश के बाद
माटी की सोंधी गंध-सा
धीमी आंच पर पके व्यंजन-सा
उत्कृष्ट कोटि के साहित्य-सा
फूलों की भीनी भीनी खुशबू-सा
तुम एहसास हो
मेरी छठी इंद्रिय का!