मेरे प्यार
तुम्हारे समीप मैं बार-बार आई
तुमसे बार-बार जानना चाहा
सिर्फ तुमसे ही जानना चाहा था
उन प्रश्नों के उत्तर
जो मेरे मन में उमड़ आये थे
तुम्हारे समीप आ कर
लेकिन तुम
विशाल बोधिवृक्ष के नीचे
अधखुली आँखों से
मुस्कृराहट देते रहे
तुम्हारी यह मुस्कुराहट
सुजाता के सारे प्रश्नों का
उत्तर तो नहीं।