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तुम्हारी हथेलियाँ / अनुराधा ओस

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तुम्हारी पसीजी हथेलियों को
छूती हूँ
तो महसूस करती हूँ
बारिश का सौंदर्य

जब पहाड़ की चोटी पर
खिले पलाश को देखती हूँ
महसूस होती है संघर्ष की परिभाषा

जब तुम्हारी आँखों में देखती हूँ
लगता है बह रही हो नदी
कंपकंपाती सी
जैसे अनगढ़ सौंदर्य प्रेम का

और तुम्हारा मौन
रेल की सीटियों सा
महसूस करती हूँ॥