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तुम्हारे लिए / चंद्रभूषण
Kavita Kosh से
बादलों तक विचरती
य' पतंग
तुम्हारे लिए
दिल में हुलस-हुलस उठती
य' तरंग
तुम्हारे लिए
मेरी देह
य' सरग नसैनी
तुम्हारे लिए
मेरी आत्मा
य' अगम बेचैनी
तुम्हारे लिए