तेइस / आह्वान / परमेश्वरी सिंह 'अनपढ़'
जिंदगी का हाल लिख देगी कलम
कल तुम्हारी मौत पर सारी जहाँ आँसू बहायेगी
जब कभी सरहद छिनेगी, तब तुम्हारी याद आयेगी
तुम्हारी पीढ़ियों को यह खिंची रेखा बतायेगी
प्राण सस्ता है, भले जाए, मगर रेखा न जायेगी
चलो फिर लक्ष्मण बन कर बता दें हम
जिंदगी का हाल लिख देगी कलम
चाहे प्रिया के प्यार का भर घूँट तुम पीलो
जवानो जिंदगी को तुम हजारों साल तक जीलों
मगर दुनिया तुम्हारे हाल पर यूँ मुस्कुरायेगी
कि शव पर फूल बरसाने के दिन गाली सुनायेगी
कहो फिर मौत से रह जायगा क्या कम
जिंदगी का हाल लिख देगी कलम
कलम! जिसकी लचीली नीव होती है रे केवल टीन की
और स्याही वह जो कालिख से बनी है दीन-सी
और कागज वह जो पावक में जले, जल में गले
उस पर तुम्हारे सिंह जीवन की कथा कब तक चले
और क्या जीवित रहेंगे हम
जिंदगी का हाल लिख देगी कलम
तुम बादल दो आसमाँ का रंग अपने खून-पानी से
विश्व को भर दो अमर बलिदान की अपनी कहानी से
संगीन काले कलम लिख दो रक्त स्याही से
अजय भारत! अमर भारत! भुजा बल हैं गवाही से
हिमवान पर गिर जाये तेरे खून का शबनम
जिंदगी का हाल लिख देगी कलम