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तेरे आँगन में जा बरसता हूँ / नीरज गोस्वामी

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याद जब भी तुझे मैं करता हूँ
नीम के फूल-सा, महकता हूँ

कुछ कमी है हमारे मिलने में
क्यों भला मिलके भी, तरसता हूँ

चाहे जो भी मैं रास्ता पकडूँ
तेरे ही दर पे जा ठहरता हूँ

बिन तुम्हारे सूक़ूँ नहीं दिल में
हर किसी से मैं, जा उलझता हूं

इससे बढ़कर खुशी नहीं कोई
तू हो जब साथ, मैं चहकता हूँ

मैं हूँ टुकड़ा इक अब्र का 'नीरज'
तेरे आँगन में जा बरसता हूँ