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तैंतीस / प्रमोद कुमार शर्मा
Kavita Kosh से
बडी भारी चुनौती है
-सबद नैं
समझ राख्यो है लोगां मखौल
जणै-कणै अस्थि-पंजर दिया बीं रा खोल
आगै री सोचो
बाळ मत नोचो
लंका सूंपणी पड़सी
-छेवट अवध नैं।