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थोड़ा-सा प्रकाश / अग्निशेखर
Kavita Kosh से
मेरी सोई हुई माँ के चेहरे पर
किसीछिद्र से पड़ रहा है
थोड़ा-सा प्रकाश
हिल रही हैं उसकी पलकें
कौन कर रहा है इस अंधेरे में
सुबह की बात