भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

थोड़ी-सी-क हवा लागी है / सांवर दइया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

थोड़ी-सी-क हवा लागी है
बिंयां आदमी औ सागी है

बारूं मास भुवाजी रैवै
आदमी असल बडभागी है

बकार्‌यां गळै पड़ जावैला
मनस्यावां साव नागी है

कोरैपण री बातां बिरथा
चादर ठौड़-ठौड़ दागी है

आं पुड़तां नै धारै कोनी
बीज जलमजात बागी है