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थोड़ी सी बेवफाई करली है ज़िन्दगी से / मोहम्मद इरशाद

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थोड़ी सी बेवफाई करली है ज़िन्दगी से
क्यूँ देखते हैं मुझको सब लोग बेरूख़ी से

सूरज का है ये दावा कि रोशन जहाँ मुझसे
मैं तिरगी निकाल के लाया हूँ रोशनी से

चलने से पहले सोच लो इस राहे ज़िन्दगी में
है हादसे ही हादसे मिलना है तीरगी से

चेहरे वही तमाम मेरे सामने हैं आज
ख़्वाबो में जो देखा करता था अजनबी से

क्या छोड़के जायेंगें बच्चों के लिए हम
अब वक्त कर रहा है ये सवाल हम सभी से

‘इरशाद’ तुम भी इनकी बातों में आ गये
शैतान सी फ़ितरत हैं दिखते आदमी से