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थोथो बड़पण / कन्हैया लाल सेठिया

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कीड़ी आती देख घमंडी
डूंगर बोल्या बाई
जुळघै थारा नान्हां पागल्या
म्हारी कठण चढा़ई,
इण गैले नै छोड़ दूसरै
मारग तू टळ ज्याई
तू भोळी मैं तनैं बता दयूं
मत भोगी अबखाई,
कीड़ी बोली मनैं डरा मत
के थारी ऊंचाई !
लागै तू तो रावलियै सो
निरथक करै बड़ाई,
उडी बींठ कर थारै माथै
चीड़ी स्यान गमाई
तू हैंकड तो करयो हुवै कीं
फिट थारी टणकाई,
डूंगर चिड़ग्यो बोल्यो खेलै
बाबै स्यूं ही डांई
नहीं धूळ रो धोरो, म्हारो
डील बजर री दांईं ,
पाछी बिल मंे बडज्या थारै
मती अठी नै आई
तू अधगैली आगै सारू
मती करी ढेटाई,
सुण रै डूंगर अबै मती तू
थोथा गाल बजाई,
तू के थारो बाप हिमाळो
मनैं दिखै ज्यूं राई
मैं चेतण तू जड़ थारै स्यूं
कांई करूं हताई ?
सिसटी रो सो भेद कथ दियो
म्हारा आखर ढाई !