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दक्षिण की बरात / चित्रा पंवार

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सुनो!
कहो!
अब तुम मिलने मत आया करो
क्यूं?
बस ऐसे ही
क्या कोई बात है?
नहीं; नहीं तो!
बस यूँ ही कह दिया
वैसे भी ये किस्सा एक दिन खत्म होना ही है
भला हो
अभी हो जाए
ऐसा क्यूं कहती हो
देखना
एक दिन
तुम्हें अपने घर लेकर जाऊंगा
ना बाबा ना!
टांगें कटवाओगे क्या मेरी
उस तरफ पांव करके सोने तक की मनाही है
ब्याह कर ले जाऊंगा,
तब देखता हूँ कौन काटता है तुम्हारे पैर
हूह ले जाओगे ब्याह कर
दक्षिण से हवा तक नहीं आती
उत्तर टोले
बारात क्या खाक आयेगी