दक्षिण की यात्रा / शैलेन्द्र चौहान
चलो कर ही आएँ
देशाटन अब वशिष्ठजी के
फ़्री रेलवे पास पर
रेलकर्मी सेवा-निवृत्त
नौकरी बढ़िया रेल की
रिटायर होने पर भी
मिलता फ़्री पास
वशिष्ठजी भले आदमी बेचारे
नहीं जाते स्वयं
दे देते पास तब
किसी मित्र, पड़ोसी,
रिश्तेदार को
बढ़ाते उनका भौगोलिक
सांस्कृतिक ज्ञान
यात्रा कर दक्षिण की मुफ़्त
सुनाते यात्रा-वृत्तांत
पड़ोसी रामगोपाल
मन्दिर रामेश्वर के
कन्याकुमारी का सूर्यास्त
महाबलीपुरम की कला, रथापत्य
तिरुपति मंदिर का
बेहिसाब चढ़ावा, स्पेशल दर्शन
हैदराबाद का
सालारजंग म्यूज़ियम विचित्र
मैसूर का वृंदावन गार्डेन भव्य
अजंता एलोरा की गुफ़ाएँ ऐतिहासिक
और न जाने क्या-क्या...?
आदमी वहां के
नहीं अधिक उद्दंड
हाँ नहीं बोलते
जानबूझकर हिन्दी
रामगोपाल की बातें
देतीं उजली तस्वीर
दक्षिण के पर्यटन-स्थलों की
पर वहाँ
कैसे हैं गाँव, किसान, मज़दूर
नहीं देख पाते वे
उन्हें नहीं नज़र आती उनकी बेरोज़गारी
ग़रीबी
होते वे मुग्ध
उनके शांत और शिक्षित होने पर
गंगा-जमना, तीरथ काशी
अयोध्या वृंदावन
जहाँ धर्म की पूरी ठेकेदारी
वहाँ सुरक्षा की
नहीं कोई गारंटी
न कोई नियम-कानून
न खौफ़ ख़ुदा का
दक्षिण इस मामले में
है काबिले तारीफ़
रामगोपाल की यात्रा
देती गवाही इस बात की