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दया / विमल कुमार
Kavita Kosh से
तुम पर बहुत दया आती है मुझे
बाथरूम में उल्टियाँ करने के बाद
अब आलोचना में भी करने लगे हो
मैं देख रहा हूँ
तुम वर्षों से बीमार हो
पीले पड़ गए हो-
खाट पर लेटे-लेटे
तुम किसी डॉक्टर को दिखाते क्यों नहीं
इस बुढ़ापे में
कहो, तो मैं तुम्हें ले चलूँ
एक डॉक्टर है मेरा परिचित
वह तुम्हारा बीमा भी करवा देगा
लड़कियाँ जब छोड़ देती हैं
बूढ़े बाप को
और लड़के ख़याल नहीं करते
तो किसी के साथ ऐसा हो सकता है
ख़ुदा करे
हमें यह दिन देखने को न मिले
मरने से पहले तुम सच कह लेना चाहते हो
पर यह तरीका नहीं है
तुम्हारी अतृप्त कामनाओं ने
तुम्हें बीमार बना दिया है, जिसको देखो
ज़माने ने तीमारदार बना दिया है।