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दयो मायड़ नै मान / कन्हैया लाल सेठिया

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नहीं सुवारथ कोई म्हारो
नहीं नांव री भ्ूाख,
बिन्यां मानता मरूभासा री
गंगा ज्यासी सूख,
वीर भूमि री, त्याग भूमि री
नहीं रवैली ओप,
बिन्यां मानता जन भासा नै
कीरत ज्यासी लोप,
आठ कोड़ मिनखां री पीड़ा
म्हारै हिव री पीड़
नहीं एकलो,म्हारै लारै
अणगिण जण री भीड़,
जे मैं एक पाड़ दयूं हेलो
कोटा जैसलमेर,
जोधाणो मेवाड़ जागज्या
जैपर बीकानेर,
गांव गांव स्यूं कागद आवै
मनै बुलावै लोग
नहीं रही पण जोत नैण में
काया नहीं निरोग,
थे समझो जिण नै चिणगारी
बण जयावली दयो थे म्हानै
करो बगतसर न्याय,
पंजाबी नै हरियाणे ली
दूजी भासा मान,
मती गमावो पाड़ासी रै
आगै म्हांरी स्यान,
मत समझ्या थे अणभणियां है
राजस्थानी ठोठ,
बां नै ठा हिन्दी पोथ्यां में
नहीं बाजरी मोठ,
जका अठै रा लोक देवता
लोेक- गीत तींवार,
बां सगळां रै साथ जुडयोड़ी
म्हांरी जीवण - धार,
ढोला मारू प्रेम कथावां
मूूमल नैणां भासा में है
बां री अंतस पीड़,
बठै कठै सरकंडा खींपां
कठै मतीरा फोग
कठै खेजड़ा रोहिड़ा बै
ज्यांरी छयां निराग,
कैर, सांगरी, काकड़ियां री
मीठी घणी सुवास,
ऊंट, मोरिया, कुरज, कमेड़यां
करै अठै ही वास,
किंया हुवैलो टाबरियां नै
निज धरती रो ग्यान ?
राखी चावो जड़ां जींवती
दयो मायड़ नै मान !