भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दर्द दिल के मिटाये जायेंगे / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
दर्द दिल के मिटाये जायेंगे
दागे दामन हटाये जायेंगे
जब कभी साथ हमारा होगा
जख़्म दिल के दिखाये जायेंगे
जिंदगी रूठने लगेगी जब
देवता ही मनाये जायेंगे
सरहदों से पुकार आती है
हौसले आजमाये जायेंगे
फिर न उजड़ेगा अब चमन कोई
ये दिलासे दिलाये जायेंगे
अब न दहशत पनाह पायेगी
कर के वादे निभाये जायेंगे
मान वृद्धों को यदि मिले घर में
फिर न आश्रम बनाये जायेंगे