दलधोय बला कुंइयाँ / गौतम-तिरिया / मुचकुन्द शर्मा
गाँव के कहानी हम कहबो तोरा जोर से
टोरल बा के कुइयाँ ई खनको हल भोर से
सुरकीपर बाँधल हल छान छप्पर छारल हल
भोर से रात तक रहल सब दिन हलचल
पानी पिलैलक ई इज्जत के धैलक ई
बड़ सम्मान अपन जीवन में पैलक ई
ऊपर के लोहा में टाँगल हे सिक्कड़ भी
पानी पीलक हें एजा बड़का भी भुक्खड़ भी
डोर से दिवार घिसल घिसल जगत डोर से
टोरल बा के कुइयाँ ई खनकोहल भोर से
धूल भरल सड़क हल कुछ नय तड़क भड़क हल
मीठा हल एकर जल, आलू परबल पसरल
देखलक नेबाजी के देखलक ई काजी के
एजा जे लगैलक हें कत्ते के बाजी के
झोपड़ी के फैलैत ई देखलक हें तहिए से
नाव पर टपको सब आल हें जहिए से
कभी ई मगन रहल कभी दुखी लोर से
टोरल बा के कुइयाँ ई खनकोहल भोर से
बेटी विआह मंे दलधोय के हुँकारी हे
आय-माय जुटली हें सबके पुछारी हे
इहे कुइयाँ के पानी ले मारा मारी हे
जुटल हें अमीर सब गरीब या भिखारी हे
अनियाँ कनियाँ जुटली रूपरंग भारी हे
तय कइने चलल ई समय के सबारी हे
कहे हे कहानी ई, जबानी पोर-पोर से
टोरल बा के कुइयाँ ई खनको हल भोर से
देखलक हें बैलगाड़ी चलते ई राह पर
देखलक हें डर से जाते कब्रगाह पर
साक्षी रहल हें ई जीवन मसान के
देखलक हें कतना ई मुरती भसान के
शादी जनौआ में लगैलक ई मेला हें
ई अभी बनल हे कतना चल गेला हें
कत्ते ओजा हँसल हें भींगल आँख कोर से
टोरल बा के कुइयाँ ई खनको हल भोर से
गाँव भर के कुइयाँ से बड़ी बढ़ल चढ़ल हे
एकरा साथ इतिहास हमर गढ़ल हे
सुनसान जगज में अब सबजी के हाटहे
चाय के दुकान हे बिछल ओजा खाटहे
कुइयाँ ई भुइयाँ के जगल बड़ी भाग हे
गाँव के धरोहर हे गाँव के पाग हे
एजै हनुमान जी एजै काली स्थान हे
कुइयाँ नै गाँव के बड़का ईमान हे
एकरा पर लोग सब चढ़ल हर ओर से
टोरल बा के कुइयाँ ई खनको हल भोर से