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दहाड़ / गौतम-तिरिया / मुचकुन्द शर्मा

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दिनरात झौर पड़े तनिकोनै धौर धरे
कोप हे इन्नर के अबकी कोय की करे
माथा पर हम्मर चढ़ले पहाड़ हे
परसाल सूखा हल अबकी दहाड़ हे
जने हम ताकोही ओनै तो पानी हे
लग रहल ई साल प्रलय के कहानी हे
घर में घुस रहल कैने मनमानी हे
मकइ धान डूब गेल डुबल मचान हे
संकट में संबके घिरल बड़ी जान हे
कालसन दोड़ रहल बड़का घमासान हे
रुकल पूजा सब छुटल अजान हे
सुक्खल में नाव चलल खेत खलिहान बदलल
कतना पशुपक्षी सब गमक रहल मरल पड़ल
इहे सावन में तो घरके सब अन्न झरल
कतना के टाट फटल माटी के घर गिरल
समय तो सबके ई साल बड़ गाढ़ हे
परसाल सुखाहल अबकी दहाड़ हे
डुबल बथान हमर घर में भी भर कमर
हमरा पर टूट रहल सब दिन से बड़ी कहर
चैन नै रातदिन कल नै एक पहर
डूबल देहात हे डूब रहल कत्ते शहर
माल-जाल की खात कैसें को कटत रात
अबकी दहाड़ में गाँव करे झात्-झात
रास्ता पैरा सूझे नय कने के आत-जात
भागी हम डाल-डाल दौड़े ई पात-पात
विपत हमर कहियो नै छोड़लक पिछाड़ हे
परसाल सूखा हल अबकी दहाड़ हे

छान-छप्पर भसल जाय, कनै भसल भैंस गाय
घर-बारह कान रहल कनै-कै आय-आय
पेड़ पात उखड़ गिरल आल कने से कसाय
बुतरू भसल कनै, कनै चले नै एको नाय
बोझा बिण्डा भसल जाय भसल घर के रत्तीराय
कोठीसब भरल सड़ल कत्ते के नेने बाय
बड़का दहाड़ हे मचल सगर हाय-हाय
गंगा कोशी बागमती गंडक उजलाल जाय
ऐसन ई जीवन में देखलों नय बाढ़ हे
परसाल सूखा हल अबकी दहाड़ हे

टूट गेल सगर सड़क छूट गेल तड़क भड़क
सबकुछ के ई दहाड़ अबकी हें गेल गड़क
मकई, राहड़, कौनी जे डूबल सब रहल मड़क
जेकरा पास पैसा हे ऊ बोले बड़ी कड़क
मिले नै राशन हे नेता के भाषण हे
सुस्त बनल शासन हे गायब तो किरासन हे
डूब गेल घर के सब बर्त्तन आ बासन हे
शासन में कनौ नै बाकी अनुशासन हे

चुल्हा चक्की जुटे नै अभी तो अषाढ़ हे
परसाल सूखा हल अबकी दहाड़ हे
उपजल दहाड़ से बड़ी मारामारी हे
आल जब दहाड़ तो सुरक्षा के बारी हे
कत्ते बेमारी भुखमरी अब जारी हे
पाछ रहल देह हमर खून के बेपारी हे
पीपर महुआ उखड़ल हें हिलो लगल ताड़ हे
परसाल सूखा हल अबकी दहाड़ हे