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दाना-पानी / विशाखा मुलमुले
Kavita Kosh से
नित रखती हूँ परिंदों के लिए दाना - पानी
वो करते हैं मेरी आवाजाही पर निगरानी
मैं रखती हूँ दाना
निकलती हूँ घर से , जुटाने दाना - पानी
दिखतें है कई बाजनुमा शिकारी
वो भी रखतें है मेरी आवाजाही पर निगरानी
मैं बन जाती हूँ दाना और
लोलुप जीभ का पानी