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दाम्पत्य - 2 / संतोष अलेक्स
Kavita Kosh से
हम घर से साथ निकलते
शाम को दफतर के बाद
साथ बाजार जाते
लौटते साथ
शाम को खाने पर साथ नहीं बैठते
माँ का हदय
कथरी सा बिछता है
बाबूजी जागते हैं रात भर
दोनों परिवारवालों की
आपसी सहमति से हुई थी
शादी हमारी