भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दारोमदार जिसपे है काग़ज़ की नाव है / सुरेश कुमार
Kavita Kosh से
दारोमदार जिसपे है काग़ज़ की नाव है
राजा सवार जिसपे है काग़ज़ की नाव है
उनपे तो बन्दोबस्त है तूफ़ान का मगर
मौसम की मार जिसपे है काग़ज़ की नाव है
सूखी हुई ज़मीं पे गुमाँ सब्ज़ बाग़ का
फ़स्ल-ए-बहार जिसपे है काग़ज़ की नाव है
लाज़िम गुज़र-बसर है यहाँ अपने हाल पर
परवरदिगार जिसपे है काग़ज़ की नाव है
चलते हैं उनके ख़्वाब मरुस्थल की रेत पर
ये कारोबार जिसपे है काग़ज़ की नाव है
मुझको तो याद है ये उसे याद हो न हो
बचपन उधार जिसपे है काग़ज़ की नाव है