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दावा / धनंजय वर्मा
Kavita Kosh से
पथरिया पहाड़ी की ऊँचाई पर
आज हम
उन्नत मन, उन्नत सिर
नीचे गहरी खाई को
हिकारत से देखते हैं ।
धरती ने
गहरी खाई तक धँस कर
हमें यह ऊँचाई दी है...।
ताल ठोंक कर
खाई पर दावा है,
हम उससे ऊँचे हैं... ।