दिनकर परिक्रमा / कस्तूरी झा ‘कोकिल’
पावन गंगा तट पर शोभित,
दिनकर ग्राम सिमरिया छै।
बेगूसराय जनपद केऽ गौरव,
जग में नाम अमरिया छै।
क्रान्तिगीत केऽ सबल गवैया
हुनको ‘हुँकार’ अनोखा छै।
दुनिया में विख्यात ‘हिमालय’
‘कुरुक्षेत्र’ नाम चोखा छै।
‘रश्मिरथी’ के जोड़ कहाँ छ।
‘उर्वशी’ अलबेली छै।
स्वर्ग छोड़ी केऽ धरती रहली
सबदिन कथा छबीली छै।
मारऽ डुबकी ‘रसवन्ती’ में
सोलहो शृंगार जहाँ छै।
‘प्रण-भंग’ होय जयथौं भैया
सदा बहार वहाँ छै।
‘द्वन्द्व गीत’ से द्वन्द्व मिटाबऽ
जीवन-मरण विचारऽ।
‘विजय-संदेश’ पाबि केऽ मनुवॉ
जग में सफल कहाबऽ।
सबके आँख खोललकै।
‘देश विदेश’ लिखी के सचमुच
अद्भुत नाम कमैलकै।...
लम्बी कविता पढ़तैकेऽ?
सभ्भे नाम गिनैतैऽ केऽ?
बचलऽ खुचलऽ बादऽ में
बोलऽ याद दिलैतै केऽ?
दिनकर जीरऽ अमर सुनाम,
जबतक धरती चाँद ललाम।
संगी-साथी करऽ परिक्रमा
चरण-कमल में कोटि प्रणाम।
-अंगिका लोक/ जुलाई-सितम्बर, 2008