भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दिल-गिरफ़्ता हूँ जहाँ-शाद हूँ मैं / आसिफ़ 'रज़ा'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दिल-गिरफ़्ता हूँ जहाँ-शाद हूँ मैं
एक मजमुआ-ए-अज़दाद हूँ मैं

तेरा मेरा है गुमाँ का रिश्ता
तू है मेरी तेरी ईजाद हूँ मैं

तुझ को ये ग़म के गिरफ़्तार है तू
मुझ को ये रंज के आज़ाद हूँ मैं

कोई रास्ता है न कोई मंज़िल
गर्द हूँ और सर-ए-बाद हूँ मैं

तन-ए-तन्हा का हूँ अपने नासिर
ख़ुद को पहुँची हुई इमदाद हूँ मैं

सिर्फ़ मैं अपनी कहानी ही नहीं
सुन मुझे तेरी भी रूदाद हूँ मैं

मेरे तामीर का मुझ पर है खड़ा
बहुत खोदी हुई बुनियाद हूँ मैं