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दिल गमों का ठिकाना हुआ / रंजना वर्मा

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दिल गमों का ठिकाना हुआ
मुस्कुराये जमाना हुआ

जब पड़ी साँवरे पर नज़र
दिल उसी का दिवाना हुआ

ख्वाब में आ बसा श्याम तो
जिंदगी का बहाना हुआ

गीत मुक्तक गज़ल छंद में
साँवरे का समाना हुआ

बन्धनों में बहुत बंध चुके
अब उसी दर पे' जाना हुआ

थम गयी आज रफ़्तार है
रास्ता हर पुराना हुआ

कुछ न बाकी बचा गाँठ में
नाम हरि का खजाना हुआ

श्याम प्यारे की' महफ़िल सजी
काम हरि नाम गाना हुआ

टेरने जब लगी बावरी
तुझको वादा निभाना हुआ