भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दिल्लगी है दोस्ती--गजल / मनोज श्रीवास्तव

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


दिल्लगी है दोस्ती


दिल्लगी है दोस्ती
फासलों से चल

यह सड़क है हादसा
चौक पर ना मिल

फिंजा है वहशी बना
फूल बन मत खिल

रोशनी है फलसफा
आँख यूं ना मल

ख़बर जिससे गाल बजते
ताड़ है, ना तिल

हंसना-रोना बंद कर
यांत्रिक है दिल

मूर्तियां चुप रहेंगी
आस्था! मत हिल

शहर जिसमें ऐंठते हो
सांप का है बिल