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दिल्ली / पंकज चौधरी

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दिल्ली में समाज नहीं है
दिल्ली में व्यक्ति ही व्यक्ति है

दिल्ली में राम का नाम नहीं है
दिल्ली में सुबह और शाम काम ही काम है

दिल्ली में श्रम का दाम नहीं है
दिल्ली में श्रम ही श्रम है

दिल्ली में प्यार नहीं है
दिल्ली में तिज़ारत ही तिज़ारत है

दिल्ली में नीति नहीं है
दिल्ली में राज ही राज है

दिल्ली में दिल नहीं है
दिल्ली मैं बेदिल ही बेदिल है

दिल्ली में कला नहीं है
दिल्ली में खरीदार ही खरीदार है

दिल्ली में मुक्तिबोध नहीं है
दिल्ली में क्रीतदास ही क्रीतदास है

दिल्ली में वाम नहीं है
दिल्ली में दक्षिण ही दक्षिण है

दिल्ली में आराम नहीं है
दिल्ली में हरामी ही हरामी है

दिल्ली में लोकतंत्र नहीं है
दिल्ली में धनतंत्र ही धनतंत्र है

दिल्ली में धर्म नहीं है
दिल्ली में शंकराचार्य ही शंकराचार्य है

दिल्ली में मां-बाप कुछ नहीं है
दिल्ली में आश्रम ही आश्रम है

दिल्ली में लोक-लाज कुछ नहीं है
दिल्ली में थेथरई ही थेथरई है

दिल्ली में दाता नहीं है
दिल्ली में लूटेरा ही लूटेरा है

दिल्ली में कोई आज़ाद नहीं है
दिल्ली में गुलाम ही गुलाम है

दिल्ली में कोई रक्षक नहीं है
दिल्ली में शिकारी ही शिकारी है

दिल्ली में प्रतियोगिता नहीं है
दिल्ली में ताबड़तोड़ तेल मालिश है

दिल्ली में शूद्र नहीं है
दिल्ली में द्विज ही द्विज है

दिल्ली में रहम नहीं है
दिल्ली में बेरहम ही बेरहम है

दिल्ली में अनाड़ी नहीं है
दिल्ली में खिलाडी ही खिलाडी है

बाकी
दिल्ली में पैंट उतार दो
दिल्ली में पैसा ही पैसा है!