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दिसम्बर / उदय प्रकाश
Kavita Kosh से
अयूब भागो
अम्माँ भागो
इस नदी से डरो नहीं
आँसू की है सिर्फ़ घुटने तक चढ़ेगी
हद से हद घाव हुआ
तो नमक जलेगा बस
अम्माँ,
अयूब चल क्यों नहीं रहा?
पापा सोते क्यों जा रहे?
अम्माँ, आप लोग कहाँ हो
और सारे सब लोग कहाँ हैं?
वो नदी भी कहाँ गई?
मुझे कुछ, अम्माँ
दिखता क्यों नहीं?