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दीप जलाओ / मुस्कान / रंजना वर्मा

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घर आँगन द्वारों पर दीप जलाओ।
मन के गलियारों पर दीप जलाओ॥

धरती के आंगन उतरे
कितने मेहमान सितारे,
दीपों में घुले मिले से
खिलते अनजान सितारे।

गलियों चौबारों पर दीप जलाओ।
मन के गलियारों पर दीप जलाओ॥

पप्पू की छत पर देखो
फुलझड़ियाँ छूट रही हैं,
गुड्डू के हाथ पटाकों
की लड़ियाँ टूट रही हैं।

खुशियों में अपनी भी हँसी मिलाओ।
मन के गलियारों पर दीप जलाओ॥

पापा को तंग न करना
अम्मा का कहना मानो,
शिकवे अब सारे छोड़ो
गैरों को अपना जानो।

रूठे जो आज उन्हें गले लगाओ।
मन के गलियारों पर दीप जलाओ॥