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दीपन / भारत भूषण अग्रवाल
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मेरे और तेरे बीच
ओ री लौ!
जो भी है
अँधेरा है।
आ
इसे उजाल दें :
ज्योति तेरी प्रकृति है
दीप धर्म मेरा है
रचनाकाल : 27 अक्तूबर 1966