भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दुःख में तपकर / अवतार एनगिल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वह
अशोक वाटिका में रही
पर अ-शोक न भई

कि दुःख में तपकर ही
होती है अर्जित
यह शीतलता---
कोई अग्नि जिसे
जला नहीं पाती।