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दुअरे सऽ मड़बा निरेखथि, ओ जे अपन बाबा हे / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

दुअरे सऽ मड़बा निरेखथि, ओ जे अपन बाबा हे
आजु मनोरथ पूरि गेल, मोरा घर जग होयत हे
हाथी चढ़ि आओत देवलोक, आओर पितर लोक हे
डोली चढ़ि अओतीह ऐहब दाइ, ओ जे आब मंगल होयत हे
मंड़बहि घुमथिन फल्लां बरुआ, ओ जे पोथी नेने पंडित लोक हे
हाथी चढ़ि अओताह अपन बाबा, डोली चढ़ि ऐहब आमा हे
रथ चढ़ि अओताह पितर लोक, आब मड़बा सोहाओन लागू हे
मड़बहि बैसलीह अपन दाइ, जांघ चढ़ि फल्लां बरुआ हे
पंडित पोथी उचारल, आब मोन हर्षित हे
सखि सब मंगल गाबथि, पंडित होम करू हे
देव पीतर आशीष देथि कि जुग जुग जीबथु नीतीश बरुआ हे