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दुखद कहानियाँ / मनमोहन
Kavita Kosh से
दुखद कहानियाँ जागती हैं
रात ज़्यादा काली हो जाती है
और चन्द्रमा ज़्यादा अकेला
इनका नायक अभी मंच पर नहीं आया
या बार-बार वह आता है
अब किसी मसखरे के वेष में
और पहचाना नहीं जाता
दुखद कहानियाँ जागती हैं
जो सुबह की ख़बरों में छिपी हुई रहीं
और दिनचर्या की मदद से
हमने जिनसे ख़ुद को बचाया
इन्हें सुनते हुए हम अक्सर बेख़बरी में
मृत्यु के आसपास तक चले जाते हैं
या अपने जीवन के सबसे गूढ़ केन्द्र में लौट आते हैं