भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दुर्गा वन्दना / विनोद तिवारी
Kavita Kosh से
जय जय जय जननी। जय जय जय जननी।
जय जननी, जय जन्मदायिनी।
विश्व वन्दिनी लोक पालिनी।
देवि पार्वती, शक्ति शालिनी।
जय जय जय जननी। जय जय जय जननी।
परम पूजिता, महापुनीता।
जय दुर्गा, जगदम्बा माता।
जन्म मृत्यु भवसागर तरिणी।
जय जय जय जननी। जय जय जय जननी।
सर्वरक्षिका, अन्नपूर्णा।
महामानिनी, महामयी मां।
ज्योतिरूपिणी, पथप्रदर्शिनी।
जय जय जय जननी। जय जय जय जननी।
सिंहवाहिनी, शस्त्रधारिणी।
पापभंजिनी, मुक्तिकारिणी।
महिषासुरमर्दिनी, विजयिनी।
जय जय जय जननी। जय जय जय जननी।