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दू बात कहै छी / चन्द्रमणि
Kavita Kosh से
अपन दू बात कहै छी पता के साथ लिखै छी
चिट्ठी पढ़िकऽ देब जवाब अहाँके पैर पड़ै छी।
हे ! जगमग भेल रहै मन-आंगन
छल जे प्रेेमदीप जरि गेल
बिछाहक बड़का अछि परिताप
सियाही मात्र संग रहि गेल
अहाँ बिनु दुनिया अछि अनहार कोनाने मोन पड़ै छी।
हे! सबतरि छै उछाह आनन्दक
हमर भवन भंख पड़ि गेल
देखी अहींक सब दिन सपना
नैनक चैन पिया हिर लेल
फूकू आबि पिरीतक शंख से मानेक बात कहै छी।
हे ! भमरा गुन-गुन करिते गान
नचैये कली कुमारी संग
रहब जीवन भरि संगहि संग
यादि करियौ कोहबरक प्रसंग
कोना आखरमे लीखि पठाउ कोना दिन-राति कटै छी।
अपन दू बात.....