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दूब-दूब पर सीत / रामकृष्ण
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चन्नन-चन्नन मन के अँगना
तन बिजुरी के गीत है।
आस पिआसल पनघट-पनघट
साँस उगल बारी-झारी
अनबुझ बात कते हिरदा के
उकसावे पारी-पारी।
आँख-पाँख पर मूरत कोई
साँस-साँस मन मीत हे॥
नेह मनिरवा मानर झूमे
अनके, थिरके मन-हिरना,
सुधिआ सोझ इँजोरे नाचे
मातल सगरे बन तिसना।
परस-परस खनके कर-कँगना
अँजुरी भरल पिरीत हे॥
फुनगी-फुनगी फुलव विहँसे
रोम-रोम फागुन-फागुन।
डहुँगी-डहुँगी कोइल गावे
द्वार-द्वार पाहुन-पाहुन॥
बंधन-बंधन में पँचबजना
दूब-दूब पर सीत हे॥